Urdu Gazal in Hindi-किसी सूफ़ी कलाम सी तेरी परछाई।
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Kisi Sufi kalaam si hai teri parcha.ii
Julf Jaise gazal tabassum Jaise rubaa.ii
Ba – khuda mera imaan khuda hai kasam se
Phir main kya krun jab khub hairaan hai khuda.ii
Tujhse hai paher hai tujhse he meri saher
Hai tujhse he zakhm tujhse he davaa. ii
Milo.n ke Safar jaisa hai tere dil ka thikana
Na arzuu ki aas, na is se mile mujh e rihaaii
Ya maula Nahi Hota ab sabr Zara bhi humse
Kar Mera bhi faisla Kar meri bhi sunvaai
Kya Tu bhi khoya hua hai is duniyadari mein
Ya main he hu khamosh Jo deta nhi sunaai
Tere dar Ka Jo na Hua , hua dar-badar main
Kabhi banvaya tamasha, kabhi khud – numaai

urdu gazal in hindi
किसी सूफ़ी कलाम सी तेरी परछाई। in hindi
किसी सूफ़ी कलाम सी तेरी परछाई।
जुल्फ़ जैसे ग़ज़ल तबस्सुम जैसे रूबाई।
वा-खुदा मेरा ईमान खुदा है कसम से,
फिर मैं क्या करूं खुद हैरान है खुदाई।
तुझसे है पहर तुझसे ही मेरी है सहर,
है तुझसे ही ज़ख्म तुझे ही मिले दवाई।
छुप-छुप के देखती है नज़र तेरी हमें,
हो कभी रु-बा-रु सांसों की हो मिलाई।
पहन लूं तुझे और उतारू ना ता-उम्र,
मेरे हर हिस्से में तू ही तू दे दिखाई।
मीलों सफ़र जैसा तेरे दिल का ठिकाना,
ना आरजू की आस ना मिले अब रिहाई।
एक हसरत थी मेरे दिल में तुझे छूने की,
देख तेरी पाकीज़गी वो भी हमने बुझाई।

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किसी सूफ़ी कलाम सी तेरी परछाई
ढलती हुई सी रात ने बात ख़राब कर दी।
जब मेरा मुंसिफ ही मेरा क़ातिल हो।
हमने भी बेशुमार पी है ! नज़रों के प्यालों से।
तेरे हुस्न की तस्वीरों का आखिर …
इंतेजाम सब कर लिए सोने के अब नींद भी आ जाये तो करम होगा।
जिसे बनना ही ना हो आख़िर हमसफ़र किसी का।
क्या सितम है के उन्हें नजरें मिलाना भी नही आता।
खयालों में तो रोज़ ही मिलते हो आके।
[…] किसी सूफ़ी कलाम सी तेरी परछाईढलती हुई सी रात ने बात ख़राब कर दी।जब मेरा मुंसिफ ही मेरा क़ातिल हो।हमने भी बेशुमार पी है ! नज़रों के प्यालों से।तेरे हुस्न की तस्वीरों का आखिर …इंतेजाम सब कर लिए सोने के अब नींद भी आ जाये तो करम होगा।जिसे बनना ही ना हो आख़िर हमसफ़र किसी का।क्या सितम है के उन्हें नजरें मिलाना भी नही आता। खयालों में तो रोज़ ही मिलते हो आके। […]
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